उदयपुर : कारवाई कर नष्ट की गई 33 हजार लीटर कच्ची शराब, जंगल के रास्ते भेजते थे गुजरात

By: Ankur Sat, 19 Dec 2020 1:36:52

उदयपुर : कारवाई कर नष्ट की गई 33 हजार लीटर कच्ची शराब, जंगल के रास्ते भेजते थे गुजरात

गुजरात में शराब अवैध हैं लेकिन आराजक तत्व इसका फायदा उठाते हैं और अवैध रूप से गुजरात शराब भेजने का काम करते हैं। गुजरात बॉर्डर से सटे उदयपुर के जंगलों में कच्ची शराब बनाई जा रही थी। आबकारी विभाग ने गुरुवार काे गुजरात बॉर्डर से 200 मीटर दूर फलासिया तहसील के अंबासा और छाली बाेकड़ा जंगल क्षेत्र में 33 हजार लीटर कच्ची शराब नष्ट कर 261 देशी शराब की बाेतलें की और 6 अभियुक्ताें काे गिरफ्तार किया। बड़ी बात यह है कि कच्ची शराब से 33 हजार देशी शराब की बाेतलें बननी थी जाे गुजरात सहित जिले के अलग-अलग क्षेत्राें में सप्लाई हाेनी थी।

सहायक आबकारी अधिकारी लाेकेश जाेशी ने बताया कि अंबासा पंचायत के छाली बाेकड़ा निवासी मालाराम पुत्र रामाजी, रणछाेड़ पुत्र बदाजी, राजेंद्र कुमार पुत्र पुनाजी, भंवरलाल पुत्र बदाजी, अनिल पुत्र हीरालाल और रमेश पुत्र काना काे गिरफ्तार किया है। उन्हाेंने बताया कि कुछ माह पहले इसी क्षेत्र में दाे बार कार्रवाई की थी और अभियुक्ताें काे भी गिरफ्तार किया था, तब वहां पर अवैध शराब का उत्पादन बंद हाे गया था। पिछले दिनाें यहां फिर से शराब बनाने की सूचना मिली थी, इस पर रैकी कर कार्रवाई की। कार्रवाई में प्रहराधिकारी नाथू सिंह, कमल सिंह, आबकारी निरीक्षक भरत मीणा, अविनाश, जमादार बंशीलाल शामिल थे।

15 सौ लीटर की पॉलीथिन में 4 से 5 दिन में बनाते थे शराब

जांच में सामने आया कि अभियुक्त तीन फीट के गड्ढे में बड़ा पाॅलिथीन बैग रखकर उसमें 1500 ली। तक कच्ची शराब बनाते थे। शराब बनाने के लिए पानी, महुआ, गुड़ काे मिलाते। जल्दी बनाने के लिए बबूल की छाल और ड्राई सेल की राॅड, नाेसादर और यूरिया डालते हैं, जाे जानलेवा है। बैग में कच्ची शराब से गर्मी के समय 3 दिन और सर्दी के समय 4-5 दिन में देशी शराब बन जाती है। एक लीटर में से 250 एमएल वेस्ट मेटेरियल निकालकर 750 एमएल की बाेतल तैयार करते हैं।

छाेटे वाहनाें से जंगल के रास्ते गुजरात पहुंचाते थे शराब

आबकारी अधिकारियाें ने बताया कि शराब का उत्पादन बॉर्डर पर करते हैं ताकि सप्लाई आसानी से हाे सके। अभियुक्त शराब बनने के बाद छाेटे-छाेटे वाहनाें के जरिए गुजरात के छाेटे गांव में पहुंचाते हैं। वहां से फिर मांग के अनुसार सप्लाई हाेती है। एक बाेतल 120-150 रुपए के हिसाब से बेची जाती है।

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